900 करोड़ लोन नोटिफाई, इसी सप्ताह आ जाएगा पैसा, कब मिलेगी सैलरी-पेंशन, जानिए

हिमाचल प्रदेश सरकार ने नए वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत के साथ ही अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने पहले ही दिन 900 करोड़ रुपये का लोन नोटिफाई कर दिया है। इस लोन के लिए भारत सरकार से तदर्थ (एडहॉक) अनुमति ली गई है, और उम्मीद है कि यह राशि इसी सप्ताह राज्य की ट्रेजरी में जमा हो जाएगी। इस कदम का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनरों की पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करना है, जो 1 अप्रैल को बैंक अवकाश के कारण अटक गया था।

सैलरी-पेंशन के लिए जरूरी कदम

हिमाचल सरकार को हर महीने करीब 1200 करोड़ रुपये सैलरी और 800 करोड़ रुपये पेंशन के लिए खर्च करने पड़ते हैं। इस महीने पहली तारीख को बैंक हॉलिडे होने की वजह से भुगतान में देरी हुई। बुधवार, 2 अप्रैल को सैलरी और पेंशन देने की तैयारी है, लेकिन इसके बाद ट्रेजरी में बैलेंस बनाए रखने के लिए अतिरिक्त फंड की जरूरत पड़ी। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए 900 करोड़ रुपये का लोन लिया जा रहा है। यह राशि न सिर्फ तत्काल जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि राज्य के वित्तीय संचालन को भी स्थिरता देगी।

नए वित्त वर्ष में 8769 करोड़ का लोन लक्ष्य

राज्य सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में कुल 8769 करोड़ रुपये के लोन की जरूरत बताई है। यह राशि विभिन्न विकास कार्यों, कर्मचारी वेतन, पेंशन और अन्य प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल होगी। केंद्र सरकार हर साल दिसंबर तक राज्यों को उनकी उधारी सीमा (लोन लिमिट) बताती है, जो आमतौर पर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) का 3% होती है। हालांकि, अभी तक भारत सरकार ने इस वित्त वर्ष की लिमिट तय नहीं की है। इसलिए, हिमाचल सरकार को तदर्थ आधार पर यह 900 करोड़ रुपये का लोन लेना पड़ा। यह राशि बाद में वार्षिक लोन लिमिट में समायोजित कर ली जाएगी।

भविष्य में सुधार की उम्मीद

अगले वित्त वर्ष (2026-27) से 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होंगी, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति में कुछ सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। मौजूदा समय में हिमाचल सरकार को केंद्र से मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान (Revenue Deficit Grant) में कमी और GST मुआवजे का खत्म होना जैसे कारणों से आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोन ही राज्य के लिए प्रमुख संसाधन बन रहा है।

क्यों पड़ी लोन की जरूरत?

हिमाचल सरकार की हर महीने की प्रतिबद्ध देनदारियां, जैसे सैलरी, पेंशन, ब्याज भुगतान और कर्ज चुकौती, कुल बजट का बड़ा हिस्सा लेती हैं। 2025-26 के बजट में अनुमान लगाया गया है कि हर 100 रुपये में से 25 रुपये सैलरी, 20 रुपये पेंशन, 12 रुपये ब्याज और 10 रुपये कर्ज चुकौती पर खर्च होंगे। विकास कार्यों के लिए सिर्फ 24 रुपये ही बचते हैं। इस स्थिति में लोन लेना सरकार के लिए मजबूरी बन गया है।

निष्कर्ष

900 करोड़ रुपये का यह लोन हिमाचल सरकार के लिए तात्कालिक राहत लेकर आएगा। सैलरी और पेंशन का भुगतान बुधवार को होने की संभावना है, और कर्मचारी-पेंशनर्स को जल्द ही उनके खातों में पैसा मिल जाएगा। हालांकि, यह कदम राज्य की बढ़ती कर्ज निर्भरता को भी दर्शाता है। आने वाले दिनों में वित्तीय आत्मनिर्भरता के लिए सरकार को नए संसाधन जुटाने और खर्चों में कटौती पर ध्यान देना होगा।

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