हर साल 21 अक्टूबर को देश भर में आजाद हिंद सरकार के गठन की वर्षगांठ मनाई जाती है। इस दिन, आजाद हिंद सरकार नाम की भारत की पहली स्वतंत्र अनंतिम सरकार की घोषणा की गई थी। आपको बता दें, साल 1942 में…
Subhash Chandra Bose: नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने एक ऐसी फौज की स्थापना की जो इतिहास के पन्नों में अमर हो गई। 21 अक्टूबर 1943, ये वही तारीख है, जब सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी से पहले सिंगापुर में अस्थायी सरकार की स्थापना की थी। इसे ‘आजाद हिंद सरकार’ के नाम से जाना जाता है। नेताजी खुद इस सरकार के प्रमुख थे। नेताजी की इस सरकार को जर्मनी, जापान, फिलिपींस, कोरिया, चीन और इटली समेत कई देशों ने मान्यता दी थी। आजाद हिंद सरकार के गठन की वर्षगांठ के अवसर पर जानते हैं कुछ अनसुने पहलुओं के बारे में।
आज़ाद हिन्द फ़ौज से जुड़ी कुछ ख़ास बातें :
आज़ाद हिन्द फ़ौज (INA) की स्थापना रसबिहारी बोस ने जापान की मदद से की थी, इसका मक़सद था , द्वितीय विश्व युध के दौरान अंग्रेजो से लड़ना था ।
- आज़ाद हिन्द फ़ौज को जापान का काफ़ी सहयोग मिला था.
- इस फ़ौज में युद्धबंदी भारतीय सैनिकों के साथ-साथ भारत में रह रहे भारतीय नागरिक भी शामिल हुए थे.
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आज़ाद हिन्द फ़ौज का सर्वोच्च कमांडर नियुक्त किया गया था.
- 21 अक्टूबर, 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में आज़ाद हिन्द की अनंतिम सरकार की घोषणा की थी.
- आज़ाद हिन्द फ़ौज ने भारत की आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी.
- आज़ाद हिन्द फ़ौज ने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ कुछ सफलताएं हासिल की थीं.
- आज़ाद हिन्द फ़ौज ने जापानी सेना के साथ मिलकर पूर्वी भारत के इम्फ़ाल शहर की घेराबंदी की थी.
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिया गया “जय हिन्द” का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है.
आजाद हिंद फौज का किया गठन
दरअसल, साल 1942 में ‘आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj)’ का पहली बार गठन किया गया था। इस दौरान आजाद हिंद फौज ने भारत की आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया। बताया जाता है कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आह्वान पर करीब 40,000 भारतीय महिला और पुरुष ‘फौज’ से जुड़े। इसके बाद इसे ‘आजाद हिंद फौज’ नाम मिला।
बोस ने की आजाद हिंद सरकार की स्थापना
बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थायी ‘आजाद हिंद सरकार’ की स्थापना की। उन्होंने इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सेनाध्यक्ष समेत कई पद अकेले ही संभाले। इसके अलावा एससी चटर्जी को वित्त विभाग, लक्ष्मी स्वामीनाथन को महिला संगठन की जिम्मेदारी सौंपी गई। साथ ही इस सरकार का अपना बैंक, करंसी और डाक टिकट भी बनाया गया। कई देशों से ‘आजाद हिंद सरकार’ को मान्यता मिलने के बाद जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप उन्हें दे दिए। इस दौरान नेताजी ने अंडमान को नया नाम ‘शहीद द्वीप’ और निकोबार को ‘स्वराज्य द्वीप’ दिया। 30 दिसंबर 1943 को इन द्वीपों पर स्वतंत्र भारत का ध्वज भी फहराया गया। इसी दौरान नेताजी ने सिंगापुर और रंगून में ‘आजाद हिंद फौज’ का मुख्यालय स्थापित किया।
‘दिल्ली चलो’ का दिया नारा
21 मार्च 1944 को ‘दिल्ली चलो (Delhi Chalo)’ के नारे के साथ आजाद हिंद फौज ने भारत की धरती पर दस्तक दी। हालांकि, हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमलों के बाद जापान की हालत काफी खराब हुई। बाद में जापानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया। यहीं से आजाद हिंद फौज कमजोर होने लगा। इसी बीच आजाद हिंद फौज के सैनिक और अधिकारियों को ब्रिटिश हुकूमत ने 1945 में गिरफ्तार कर लिया। आजाद हिंद फौज के गिरफ्तार सैनिकों और अधिकारियों पर दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चलाया गया। कर्नल सहगल, कर्नल ढिल्लों और मेजर शाहवाज खान पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। बाद में तीनों को फांसी की सजा सुनाई गई।