Jabalpur jail break: नाबालिग कैदियों की सनसनीखेज फरारी से परेशान हुई पुलिस, गार्ड को मारकर एकसाथ भागे 8-9 लड़के… जाने यहाँ पूरा मामला

Jabalpur jail break
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जबलपुर के गोकलपुर बाल सुधार गृह से आठ नाबालिग कैदियों के फिल्मी अंदाज में फरार होने की घटना ने सभी को चौंका दिया है। यह घटना किसी बॉलीवुड थ्रिलर से कम नहीं लगती, लेकिन यह सच्ची घटना है जिसने सुधार गृह की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस भागने की योजना में गार्ड पर हमला, मोबाइल छीनना और बाद में बाइक चोरी करना शामिल था। इस लेख में हम इस घटना की पूरी जानकारी, सुरक्षा चूक और पुलिस जांच के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे…पूरा मामला जानने के लिए आगे पढ़े.

कैसे लड़कों में बनी फ़रार होने की योजना

यह कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था बल्कि इन नाबालिगों ने पहले से इसकी रणनीति तैयार कर रखी थी। ये सभी किसी न किसी अपराध में संलिप्त थे, जिनमें आर्म एक्ट और मारपीट जैसे मामले शामिल थे।

गार्ड पर हमला कर बाहर निकलने की कोशिश

भागने की योजना में सबसे पहले सुधार गृह के गार्ड्स को निशाना बनाया गया। उस रात दो गार्ड ड्यूटी पर तैनात थे। आरोपियों ने पहले एक गार्ड को कमरे में बंद कर दिया और फिर दूसरे गार्ड से ताले की चाबी मांगी। जब गार्ड ने चाबी देने से मना कर दिया, तो इन नाबालिगों ने उसकी बुरी तरह पिटाई कर दी और उसे बेहोश कर दिया।

मोबाइल छीनकर तुरंत पिता को फोन किया

इस घटना का एक चौंकाने वाला पहलू यह भी रहा कि इन कैदियों में से एक ने गार्ड का मोबाइल छीनकर अपने पिता को फोन किया और भागने की जानकारी दी। हालांकि, पिता की डांट सुनते ही उसने फोन काट दिया।

15 फीट ऊंची दीवार कूदकर फरारी

गार्ड को बेहोश करने के बाद, सभी आठों नाबालिगों ने सुधार गृह की 15 फीट ऊंची दीवार फांदकर फरार होने में सफलता प्राप्त कर ली। जब सुबह इस घटना का खुलासा हुआ, तो सुधार गृह प्रशासन और पुलिस में हड़कंप मच गया।

पुलिस जांच और प्रशासन की लापरवाही

जब यह मामला पुलिस के संज्ञान में आया, तो तुरंत Jabalpur police investigation शुरू कर दी गई। रांझी थाने में इस घटना की शिकायत दर्ज की गई और पुलिस ने फरार नाबालिगों की तलाश शुरू कर दी।

सुधार गृह प्रशासन की लापरवाही आई सामने

स्थानीय मीडिया जब मौके पर पहुंची, तो सुधार गृह के अधिकारी बातचीत करने से बचते नजर आए। यहां तक कि सुधार गृह के मुख्य द्वार को अंदर से बंद कर दिया गया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वे सुरक्षा चूक पर सवालों से बचना चाहते थे।

एक सिलाई शिक्षक, जो वहां कैदियों को सिलाई सिखाते हैं, ने बताया कि आठ नाबालिगों के फरार होने की चर्चा अंदर चल रही थी। हालांकि, उन्हें इस मामले की ज्यादा जानकारी नहीं दी गई थी।

बाइक चोरी: भागने के बाद एक और अपराध

भागने के बाद इन नाबालिगों ने एक और अपराध को अंजाम दिया। उन्होंने सुधार गृह से लगभग 3 किलोमीटर दूर व्हीकल मोड क्षेत्र में जाकर बाइक चोरी कर ली। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिससे पुलिस को महत्वपूर्ण सुराग मिले।

पुलिस द्वारा उठाए गए विभिन्न कदम

पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कई कदम उठा रही है:

  • CCTV फुटेज: सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है ताकि इनकी लोकेशन ट्रेस की जा सके।
  • तकनीकी निगरानी: कॉल रिकॉर्ड और डिजिटल सबूतों का विश्लेषण किया जा रहा है।
  • मुखबिर तंत्र: पुलिस द्वारा स्थानीय सूत्रों से इनकी जानकारी जुटाई जा रही है।
  • पेट्रोलिंग और छापेमारी: संभावित ठिकानों पर पुलिस छापेमारी कर रही है।

घटना से उठे प्रमुख सवाल क्या है?

इस घटना ने कई चिंताजनक सवाल खड़े कर दिए हैं:

  1. सुरक्षा चूक: आखिर नाबालिग कैदी इतनी आसानी से कैसे भागने में सफल हो गए?
  2. प्रशासनिक विफलता: सुधार गृह के अधिकारी मीडिया के सवालों से बचते क्यों दिखे?
  3. नाबालिग अपराधियों का बढ़ता खतरा: इनकी फरारी के बाद समाज में सुरक्षा की क्या स्थिति होगी?
  4. पुनर्वास व्यवस्था पर सवाल: क्या सुधार गृह वास्तव में इन अपराधियों को सुधारने में सक्षम हैं?

विशेषज्ञों की राय जाने यहाँ

कानूनी विशेषज्ञों और आपराधिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, यह घटना हमारे juvenile justice system in India की कमजोरियों को दर्शाती है।

  • सुधार कार्यक्रमों की कमी: सुधार गृहों में सिर्फ कैदियों को रखने की बजाय, उनके मानसिक सुधार पर भी ध्यान देना जरूरी है।
  • सुरक्षा उपायों की अनदेखी: देशभर में पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन सुरक्षा बढ़ाने में असफल रहा है।
  • मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की जरूरत: अगर इन नाबालिगों को सही समय पर काउंसलिंग दी जाती, तो शायद वे भागने का प्रयास नहीं करते।

भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने हेतु निम्न उपाय

सरकार और प्रशासन को इस घटना से सबक लेते हुए कई सुधारात्मक कदम उठाने होंगे:

  1. सुरक्षा बढ़ाना: सुधार गृहों में अधिक प्रशिक्षित गार्ड और आधुनिक सुरक्षा उपकरण लगाने होंगे।
  2. नियमित मनोवैज्ञानिक सत्र: कैदियों को सुधारने के लिए काउंसलिंग अनिवार्य होनी चाहिए।
  3. प्रशासनिक जवाबदेही: सुरक्षा चूक के लिए अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
  4. सुधार गृहों की निगरानी: सरकार को नियमित जांच करनी होगी कि सुधार गृह सही ढंग से कार्य कर रहे हैं या नहीं।

निष्कर्ष :

जबलपुर बाल सुधार गृह से हुए इस juvenile home escape ने सुधार गृहों की सुरक्षा और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस इस मामले में तेजी से जांच कर रही है, लेकिन यह घटना प्रशासन के लिए एक बड़ा सबक है कि सुरक्षा उपायों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह मामला juvenile crime prevention के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है और इस पर जल्द से जल्द कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

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