Married Sister Property Rights : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में शादीशुदा बहन की संपत्ति में भाई के अधिकारों को लेकर अहम फैसला सुनाया। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15(2)(बी) के तहत स्पष्ट किया गया कि शादीशुदा महिला की संपत्ति पर उसके पति के उत्तराधिकारियों का अधिकार होगा, न कि उसके भाई का। यदि संपत्ति मायके से मिली हो, तभी भाई को हक मिल सकता है। यह निर्णय संपत्ति विवादों को कम करने और कानूनी स्पष्टता प्रदान करने में सहायक होगा। जानिए इस फैसले के पूरे कानूनी पहलू और इसका आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
Married Sister Property Rights 2025 : भूमिका
भारत में संपत्ति विवाद एक आम समस्या है, और इसमें उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Act) की भूमिका अहम होती है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें शादीशुदा बहन की संपत्ति पर भाई के अधिकार को स्पष्ट किया गया है। इस निर्णय ने कानून की धारा 15(2)(बी) को स्पष्ट करते हुए बताया कि शादीशुदा बहन की संपत्ति पर उसके पति के उत्तराधिकारियों का ही अधिकार होगा। आइए इस फैसले की पूरी जानकारी लेते हैं।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी शादीशुदा बहन की संपत्ति पर अधिकार जताया था। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस दावे को खारिज कर दिया था, और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया। यह मामला एक महिला की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़ा था, जिसने अपनी वसीयत नहीं बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि शादीशुदा महिला की संपत्ति उसके पति या ससुराल पक्ष के उत्तराधिकारियों को ही मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15(2)(बी) को लागू किया। न्यायालय ने कहा कि:
- यदि किसी शादीशुदा महिला की मृत्यु हो जाती है और उसने वसीयत नहीं बनाई है, तो उसकी संपत्ति पर उसके पति के उत्तराधिकारी का अधिकार होगा।
- यदि महिला के कोई संतान नहीं है, तो संपत्ति उसके पति के परिवार में स्थानांतरित कर दी जाएगी।
- यदि संपत्ति महिला के मायके से प्राप्त हुई है, तो यह उसके माता-पिता के उत्तराधिकारियों को दी जाएगी।
- भाई को इस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा जब तक कि इसे मायके से प्राप्त न किया गया हो।
अदालत में प्रस्तुत तर्क
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसकी बहन की संपत्ति पर उसका अधिकार बनता है क्योंकि वह उसका निकटतम रिश्तेदार है। हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि चूंकि संपत्ति महिला को उसके पति के परिवार से प्राप्त हुई थी, इसलिए उसका अधिकार केवल उसके पति के उत्तराधिकारियों को ही होगा।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15(2)(बी) का महत्व
यह प्रावधान स्पष्ट करता है कि शादीशुदा महिला की संपत्ति को दो भागों में बांटा जा सकता है:
- पति या ससुराल से प्राप्त संपत्ति – यह उसके पति या ससुराल के उत्तराधिकारियों को जाएगी।
- मायके से प्राप्त संपत्ति – यदि महिला ने कोई वसीयत नहीं बनाई है, तो यह उसके माता-पिता के उत्तराधिकारियों को मिलेगी।
इस फैसले का प्रभाव
- यह निर्णय संपत्ति विवादों को कम करने में सहायक होगा।
- महिलाओं की संपत्ति के अधिकार को लेकर स्पष्टता प्रदान करेगा।
- भाई-बहन के बीच संपत्ति विवादों को सुलझाने में मदद करेगा।
- समाज में जागरूकता बढ़ाएगा कि संपत्ति का उत्तराधिकार सिर्फ नजदीकी रिश्तेदार होने से तय नहीं होता।
निष्कर्ष :
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शादीशुदा बहन की संपत्ति पर भाई का अधिकार नहीं होता जब तक कि वह संपत्ति मायके से प्राप्त न हुई हो। इससे भविष्य में संपत्ति विवादों को रोकने में मदद मिलेगी और कानून की बेहतर समझ विकसित होगी। यदि आप संपत्ति संबंधी मामलों को लेकर किसी भ्रम में हैं, तो कानूनी परामर्श लेना जरूरी है।
(ध्यान दें: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है, कानूनी सलाह के लिए विशेषज्ञ से संपर्क करें।)