जब भी राज साहब की नई फिल्म की प्लानिंग होती।
शंकर जी , जयकिशन जी , हसरत साहब , शेलेन्द्र जी की टीम आउटिंग पर निकल लेती थी।
कभी लता जी भी शामिल होतीं
कभी राज कपूर साहब भी साथ होते।
यह टीम जब भी खंडाला जाती
एक ढाबे पर चाय पीने जरूर रुकती थी।
“श्री 420” के म्यूजिक प्लानिंग के लिये भी उधर ही जाना हुआ।
ढाबे पर एक वेटर का नाम रमैया था।
जो तेलुगु भाषी था।
शंकर सिंह रघुवंशी जी भी हैदराबाद रह चुके थे।
उन्होंने आवाज़ लगाई
‘रमैया वस्तावैया’
(रमैया इधर कब आओगे)
शेलेन्द्र जी ने यही बात एक दो बार तरन्नुम में कह दी
हसरत साहब ने कहा
यह तो गाना बन सकता है !!
शेलेन्द्र जी ने आगे कहा
‘मैने दिल तुझको दिया’
जयकिशन जी टेबल पर ही रिदम देने लगे।
और इस गीत का रॉ मटेरियल तैयार हो गया।
पूरी टीम साथ थी,
कम्प्लीट होना ही था !!
एक बात और…
इस गीत पर जिन्होंने नृत्य किया है।
उन का नाम शीला वाज़ है।
इसी गीत की वजह से उन्हें ‘CID’ का
“ले के पहला पहला प्यार”
मिला था।
हालांकि 1961 में विवाह के बाद उन्होंने फिल्म-इंडस्ट्री से पूरी तरह दूरी बना ली।
अब गीत के बारे में आप कुछ कहिये…..