दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल और निशीथ काल दोनो की आवश्यकता होती है ?
प्रदोष काल : सूर्यास्त से 2 घड़ी तक प्रदोष काल माना जाता है।
निशीथ काल क्या होता है : निशीथ या निशिता काल को आमजन इसे मध्यरात्रि या अर्ध रात्रि काल कहते हैं। यह समय रात्रि 12 बजे के आसपास का होता है। साल के कुछ दिनों को छोड़कर जैसे दीपावली, 4 नवरात्रि, जन्माष्टमी, महा शिवरात्रि पर निशीथ काल महानिशीथ काल बन कर शुभ प्रभाव देता है जबकि अन्य समय में दूषित प्रभाव देता है।
31 अक्टूबर 2024 को अमावस्या है साथ ही सूर्यास्त के समय प्रदोष काल ओर रात्रि में महानिशीथ काल दोनों प्राप्त हो रहे हैं।
1 नवंबर 2024 को अमावस्या तिथि तो है परंतु केवल प्रदोष काल ही उपलब्ध रहेगा जबकि अमावस्या तिथि महानिशीथ काल से पहले ही समाप्त हो जाएगी।
उपरोक्त कारणों से दीपावली को 31 अक्टूबर 2024 को ही मनाना ही उपर्युक्त और शुभ रहेगा।
1. प्रदोष काल मुहूर्त :- प्रदोष काल सूर्यास्त से 48 मिनट यानी दो घड़ियां तक का समय होता है। दिल्ली टाइम के अनुसार शाम 05:36 होगा सूर्यास्त। इस काल में भी लक्ष्मी पूजा कर सकते हैं। इसे आप गोधूली मुहूर्त मान लें।
2. लक्ष्मी पूजा रात्रि का शुभ मुहूर्त :- शाम 05:32 से 08:51 के बीच। इस काल में सभी गृहस्थ पूजा कर सकते हैं। इस काल में प्रदोष काल सहित अमृत और चर का चौघड़िया भी समाहित है।
3. निशीथ काल मुहूर्त :- मध्यरात्रि 11:39 से 12:31 तक। इस काल में माता काली या माता लक्ष्मी की तांत्रिक पूजा होती है या वे लोग पूजा करते हैं जो किसी विशेष कार्य या प्रयोजन को सिद्ध करना चाहते हैं।
(उपरोक्त जानकारी विभिन्न पंचांगों, स्रोतों और विद्वानों की राय जानने के पश्चात आप सभी सनातनी जनों को उपलब्ध करा रहा हूं। कहीं कोई त्रुटि हो तो अवगत कराएं
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