Aaj Ka Panchang 15 January: आज के दिन का पंचांग शास्त्रों के अनुसार, साथ ही वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में ईशान-स्थल की महत्ता जानेंगे, आज के दिन का शुभ मुहूर्त और राहु काल के बारे में दी गई है जिन्हें उपयोग करके आप अपने दिन को और मंगल और शुभ बनाए..आइए जानते है क्या है पूरी जानकारी…अधिक पढ़े.
Panchang 15 January: आज का हिन्दू पंचांग शास्त्रों के अनुसार देखे
दिनांक – 15 जनवरी 2025
दिन – बुधवार
विक्रम संवत् – 2081
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – माघ
पक्ष – कृष्ण
तिथि – द्वितीया प्रातः 03:23 जनवरी 16 तक, तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र – पुष्य प्रातः 10:28 तक तत्पश्चात अश्लेषा
योग – प्रीति रात्रि 01:47 जनवरी 16 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहु काल – दोपहर 12:49 से दोपहर 02:11 तक
सूर्योदय – 07:26
सूर्यास्त – 06:11
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:38 से 06:30 तक
अभिजीत मुहूर्त – कोई नहीं
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:23 जनवरी 16 से रात्रि 01:15 जनवरी 16 तक
विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन, कटहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
वास्तुशास्त्र के अनुसार ईशान-स्थल की महत्ता
कमरे में पूर्व व उत्तर दिशा के बीचवाले कोने से कमरे की पूर्वी दीवाल की लम्बाई का एक तिहाई भाग व उत्तरी दीवाल की लम्बाई का एक तिहाई भाग लेकर जो आयताकार स्थल बनता है, वह ‘ईशान-स्थल’ कहलाता है । 12 X 18 के कमरे का ईशान-स्थल 4 X 6 का होगा । खुले भूमिखंड के विषय में भी ऐसे ही समझना चाहिए ।
सुख-शांतिप्रदायक ईशान-स्थल
सुख-शांति और कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमानों को अपने घर, दुकान या कार्यालय में ईशान-स्थल पर अपने इष्टदेव, सदगुरु का श्रीचित्र लगा के वहाँ धूप-दीप, मंत्रोच्चार तथा साधना-ध्यान पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए । यह विशेष सुख-शांतिदायक है ।
सुख-समृद्धि में वृद्धि हेतु
भूमिखंड के ईशान कोण तथा पूर्व एवं उत्तर दिशा में खाली भाग अधिक होना चाहिए और इन भागों में अपेक्षाकृत वजन में हलके व कम ऊँचाईवाले पेड़-पौधे लगाने चाहिए । भूमिखंड के ईशान-स्थल में तुलसी, बिल्व व आँवला लगाना सुख-समृद्धिकारक है ।
ज्ञानार्जन में सहायता व सत्प्रेरणा हेतु
विद्यार्थियों के लिए भी ईशान कोण बड़े महत्त्व का है । पूर्व एवं उत्तर दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ तथा ईशान-स्थल ज्ञानवर्धक स्थल है । जो विद्यार्थी ईशान-स्थल पर बैठ के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पढ़ता है, उसे ज्ञानार्जन में विशेष सहायता मिलती है । पूर्व की ओर मुख करने से विशेष लाभ होता है । अध्ययन-कक्ष में सदगुरु या ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के श्रीचित्र लगाने चाहिए, इससे सत्प्रेरणा मिलती है ।