राजस्थान में बिजली तंत्र सुधार के नाम पर 237 करोड़ रुपए के चर्चित घोटाले में एक नया मोड़ आया है। इस घोटाले के पांच आरोपी अफसरों में से चार को चार्जशीट दी गई है, जबकि पांचवे आरोपी, जो कि वर्तमान में अजमेर डिस्कॉम के एमडी हैं, को गवाह बनाने की कोशिश की जा रही है। सवाल यह उठ रहा है कि जब घोटाले से जुड़े सबूत और रिपोर्ट पहले से ही मौजूद थे, तो इस अफसर को गवाह क्यों बनाया जा रहा है?
क्या था घोटाले का मामला?
यह घोटाला कांग्रेस सरकार के समय हुआ था, जब डिस्कॉम के अफसरों और एक निजी कंपनी की मिलीभगत से सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रिड सब स्टेशन (जीएसएस) निर्माण के नाम पर एक विशेष कंपनी को काम सौंपा गया और उसे निर्धारित दर से 246 प्रतिशत ज्यादा भुगतान किया गया। यह घोटाला तब सामने आया जब राजस्थान पत्रिका ने इसकी जानकारी दी, जिसके बाद डिस्कॉम प्रबंधन ने अपनी जांच शुरू की।
चार्जशीट मिलने वाले अफसर:
- पूर्व एमडी आरएन कुमावत
- वित्त निदेशक एसएन माथुर
- मुख्य अभियंता आरके मीणा
- मुख्य अभियंता अनिल गुप्ता
इन चार अफसरों को घोटाले में मुख्य आरोपी मानते हुए चार्जशीट दी गई है, जबकि अजमेर डिस्कॉम के एमडी के.पी. वर्मा को अब तक चार्जशीट नहीं दी गई है। चर्चा है कि उन्हें गवाह बनाने की प्रक्रिया चल रही है, जिससे उनका नाम आरोपियों की सूची से बाहर रखा जा सके।
विधानसभा में सवाल उठाए गए:
भा.ज.पा. विधायक संदीप शर्मा ने भी इस घोटाले पर विधानसभा में सवाल उठाए हैं, जिसके बाद डिस्कॉम प्रबंधन ने चार्जशीट देने की प्रक्रिया को तेज किया है।
अधिकारी क्यों बचने की कोशिश कर रहे हैं?
कुछ अधिकारी दावा कर रहे हैं कि उन्हें कार्यादेश पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव में लाया गया था, ताकि वे इस घोटाले से बच सकें।
मंत्री का बयान:
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने इस बारे में जानकारी दी कि अजमेर डिस्कॉम के एमडी के.पी. वर्मा को गवाह बनाए जाने के कारण उन्हें अभी तक चार्जशीट नहीं दी गई। मंत्री ने यह भी बताया कि इस मामले की जांच एसीबी को भेज दी गई है, और वहां से ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
घोटाले से जुड़े अहम सवाल:
- जब घोटाले से जुड़ी रिपोर्ट और दस्तावेज पहले से मौजूद थे, तो तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
- आर.सी. एंटरप्राइजेज को अधिक कीमत पर काम सौंपने का जिम्मेदार कौन है?
- काम की अवधि पूरी नहीं होने पर केवल नोटिस क्यों दी गई, जबकि घोटाले का व्यापक असर था?
अब यह देखना बाकी है कि इस मामले में और क्या खुलासे होते हैं और दोषियों के खिलाफ आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।