CRPF कांस्टेबल की नौकरी वापस! Rajasthan High Court ने दिया चौंकाने वाला फैसला

Rajasthan High Court
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में CRPF कांस्टेबल की बर्खास्तगी को रद्द कर दिया है। यह बर्खास्तगी इस आधार पर की गई थी कि कांस्टेबल अपने साथी जवान के क्वार्टर में बिना अनुमति घुस गया था और जब उसे बाहर आने के लिए कहा गया, तो वह भागने की कोशिश करने लगा। हाईकोर्ट ने कहा कि इस अपराध के लिए बर्खास्तगी जैसी कठोर सजा देना अनुपातहीन है और इसे न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता।

हाईकोर्ट का निर्णय और तर्क

न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढांड की पीठ ने कहा कि किसी भी प्रशासनिक निर्णय में निष्पक्षता होनी चाहिए, विशेष रूप से जब वह कर्मचारी की आजीविका को प्रभावित करता हो। अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता (CRPF कांस्टेबल) की गलती इतनी गंभीर नहीं थी कि उसके लिए सेवा समाप्ति जैसा कठोर दंड दिया जाए।

अदालत ने यह भी कहा कि CRPF एक अनुशासित बल है और इसके जवानों से सख्त अनुशासन का पालन करने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन इस मामले में बर्खास्तगी जैसी सजा उचित नहीं थी।

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) का कानूनी दृष्टिकोण

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आनुपातिकता के सिद्धांत (Proportionality Principle) का हवाला देते हुए कहा कि सजा की गंभीरता और अपराध के बीच संतुलन होना चाहिए। यदि कोई सजा अत्यधिक कठोर है और किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, तो न्यायालय को हस्तक्षेप करने का पूरा अधिकार है।

अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई दंड न्यायिक विवेक को झकझोर देता है, तो वह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन माना जा सकता है।

राज्य सरकार का पक्ष

राज्य सरकार ने तर्क दिया कि CRPF एक अनुशासित बल है और इसमें जवानों से नियमों का कड़ाई से पालन करने की अपेक्षा की जाती है। सरकार का कहना था कि याचिकाकर्ता ने नियमों का उल्लंघन किया और इसीलिए उसकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं

हालांकि, अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता को उचित सुनवाई और सफाई देने का अवसर नहीं दिया गया था

अदालत का अंतिम फैसला

  • CRPF कांस्टेबल की बर्खास्तगी को अनुचित करार देते हुए रद्द कर दिया गया।
  • अनुशासन प्राधिकारी को इस मामले पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया गया।
  • तीन महीने के भीतर उचित और न्यायसंगत सजा तय करने के निर्देश दिए गए।

निष्कर्ष

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि अनुशासन जरूरी है, लेकिन सजा न्यायसंगत होनी चाहिए। अगर कोई दंड व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और अनुपातहीन है, तो न्यायालय इसमें हस्तक्षेप कर सकता है।

QNA

Q1: राजस्थान हाईकोर्ट ने CRPF कांस्टेबल की बर्खास्तगी क्यों रद्द की?
Ans: हाईकोर्ट ने कहा कि कांस्टेबल की गलती इतनी गंभीर नहीं थी कि उसे नौकरी से निकाल दिया जाए। सजा अनुचित और कठोर थी, इसलिए इसे रद्द कर दिया गया।

Q2: CRPF कांस्टेबल पर क्या आरोप था?
Ans: उस पर आरोप था कि वह अपने साथी कांस्टेबल के क्वार्टर में बिना अनुमति घुस गया और जब बाहर आने को कहा गया तो भागने की कोशिश की।

Q3: क्या CRPF जवान को अब दोबारा नौकरी मिलेगी?
Ans: हाईकोर्ट ने अनुशासन प्राधिकरण को तीन महीने में पुनर्विचार करने का आदेश दिया है, जिससे उसे फिर से नौकरी मिलने की संभावना है।

Q4: राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
Ans: कोर्ट ने कहा कि अनुशासन जरूरी है, लेकिन सजा न्यायसंगत होनी चाहिए। सेवा समाप्ति जैसी कड़ी सजा इस मामले में अनुपातहीन थी।

Q5: क्या यह फैसला भविष्य में अन्य सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुंचाएगा?
Ans: हां, यह फैसला यह दर्शाता है कि अनुशासनात्मक कार्रवाई में निष्पक्षता होनी चाहिए और प्रशासनिक फैसलों में न्यायिक समीक्षा संभव है।

Join WhatsApp

Join Now