राजस्थान सरकार का नया आदेश: नगरीय निकायों में प्रशासनिक बदलाव
Rajasthan सरकार ने प्रदेश के 111 नगरीय निकायों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार की मंशा ‘एक राज्य-एक चुनाव’ की है, इसी को ध्यान में रखते हुए स्वायत्त शासन विभाग ने विधि विभाग से राय मांगी थी। हालांकि, अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं आया है। इसी बीच सरकार ने इन नगरीय निकायों में चुनाव टालते हुए प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है। इससे लोगों के पट्टे जारी करने सहित अन्य प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे थे। इस स्थिति को देखते हुए स्वायत्त शासन विभाग को बड़े निकायों में प्रशासकों के रूप में जिला कलक्टर व संबंधित निकाय आयुक्तों के बीच काम का बंटवारा करना पड़ा है।
बड़े शहरों में प्रशासनिक कार्यों का हुआ बंटवारा
राज्य सरकार ने नए आदेश के तहत स्पष्ट किया है कि भूमि और भवन निर्माण से संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी अब नगर निगम आयुक्त को दी गई है। इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित कार्य शामिल होंगे:
- पट्टे जारी करने की प्रक्रिया
- भूखंड पुनर्गठन
- उपविभाजन
- लेआउट प्लान की स्वीकृति
स्वायत्त शासन विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके तहत बीकानेर, अलवर, भरतपुर, पाली, और उदयपुर समेत कई बड़े निकाय शामिल हैं।
Rajasthan News Today : किन निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति हुई?
पहला चरण: नवंबर 2024
नवंबर 2024 में 49 शहरी निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई थी। इनमें वे निकाय शामिल थे, जहां नगर निकाय बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो चुका था। इनमें शामिल हैं:
- 5 नगर निगम
- 18 नगर परिषद
- 26 नगर पालिका
दूसरा चरण: जनवरी 2025
जनवरी 2025 में सरकार ने 62 अन्य निकायों में भी प्रशासकों की नियुक्ति कर दी। इन निकायों में पहले सरपंचों को ही सभापति का चार्ज दिया गया था, लेकिन उनके कार्यकाल की समाप्ति के बाद सरकार को प्रशासक नियुक्त करने पड़े।
वार्ड पुनर्गठन और परिसीमन का कार्य जारी
सरकार की ‘एक राज्य-एक चुनाव’ नीति के तहत स्वायत्त शासन विभाग ने सभी नगरीय निकायों में वार्ड पुनर्गठन और परिसीमन करने के आदेश पहले ही जारी कर दिए हैं।
स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि वार्डों के पुनर्गठन और परिसीमन का कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा ताकि आम जनता के नियमित कार्यों में कोई रुकावट न आए। सरकार इस प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने पर जोर दे रही है।
प्रशासकों की नियुक्ति का प्रभाव: जनता को क्या मिलेगा?
- पट्टों की प्रक्रिया होगी तेज – नगर निगम आयुक्त को भूमि संबंधी कार्य सौंपे जाने के बाद पट्टों की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
- शहरों का विकास कार्य प्रभावित नहीं होगा – प्रशासकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे विकास कार्यों को बिना रुकावट के पूरा करें।
- निर्माण और स्वीकृति से जुड़े कार्य होंगे सुचारू – भूखंड पुनर्गठन, उपविभाजन और लेआउट प्लान की स्वीकृति जल्द होगी।
- जनता को मिलेगी राहत – नगर निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति से प्रशासनिक कार्य प्रभावित नहीं होंगे और लोगों के कार्य बिना किसी देरी के पूरे होंगे।
राज्य सरकार की रणनीति और भविष्य की योजना
राज्य सरकार की दीर्घकालिक रणनीति नगरीय निकायों में स्थिरता और सुचारू प्रशासन सुनिश्चित करना है। ‘एक राज्य-एक चुनाव’ की नीति को लेकर सरकार गंभीर है और इसे जल्द लागू करने की योजना बना रही है। हालांकि, इसके लिए विधि विभाग की राय आवश्यक है, जिसका सरकार अभी भी इंतजार कर रही है।
इस नीति के लागू होने से सभी निकायों के चुनाव एक साथ होंगे, जिससे प्रशासनिक स्थिरता बनी रहेगी और बार-बार होने वाले चुनावों पर होने वाले अतिरिक्त खर्च को भी कम किया जा सकेगा।
निष्कर्ष :
राजस्थान सरकार के इस फैसले से नगरीय निकायों में प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। हालांकि, चुनाव स्थगित होने के कारण कुछ समस्याएं जरूर सामने आई हैं, लेकिन सरकार ने समाधान के रूप में प्रशासकों की नियुक्ति कर प्रशासनिक कार्यों का सुचारू संचालन सुनिश्चित किया है। आने वाले समय में ‘एक राज्य-एक चुनाव’ नीति के लागू होने से नगरीय प्रशासन में और अधिक पारदर्शिता और स्थिरता आने की संभावना है।
राज्य सरकार और स्वायत्त शासन विभाग की इस पहल का उद्देश्य जनता को बेहतर प्रशासनिक सेवाएं प्रदान करना और नगरीय निकायों के कार्यों को निर्बाध रूप से जारी रखना है।