Rajasthan News : राजस्थान का अनोखा गांव, जहां बसते हैं सिर्फ देवी-देवता! जानिए रहस्य

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Rajasthan News : राजस्थान के धरियावद क्षेत्र में स्थित बेणेश्वर धाम अपनी रहस्यमयी और आध्यात्मिक विशेषताओं के कारण लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह स्थान केवल धार्मिक मान्यताओं के लिए ही नहीं, बल्कि अपने अनोखे भूगोल और ऐतिहासिक महत्त्व के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां पर श्रीराधाकृष्ण मंदिर, ब्रह्मा मंदिर, शिव मंदिर, वाल्मीकि मंदिर, गायत्री मंदिर सहित कई देवी-देवताओं के मंदिर स्थित हैं, लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह गांव पूरी तरह से गैर-आबादी क्षेत्र है।

Rajasthan News यहां क्यों नहीं बसते इंसान?

बेणेश्वर धाम सदियों से एक धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यह स्थान सोम, माही और जाखम नदियों के संगम पर स्थित है, जो इसे एक पवित्र और अलौकिक ऊर्जा से भरपूर बनाता है। तीनों ओर से पानी से घिरे होने के कारण यह क्षेत्र एक मत्स्याकार टापू की तरह दिखाई देता है। राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार, यहां कभी भी स्थायी मानव निवास नहीं रहा, बल्कि यह सिर्फ मंदिरों और धार्मिक गतिविधियों के लिए ही उपयोग होता रहा है। यही कारण है कि इसे गैर-आबादी राजस्व गांव के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

अवैध कब्जों का बढ़ता खतरा

हालांकि, यह क्षेत्र राजस्व रिकॉर्ड में गैर-आबादी भूमि के रूप में दर्ज है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यहां अवैध कब्जों और निर्माणों की संख्या बढ़ रही है। प्रशासन की अनदेखी के कारण लोग इस पवित्र स्थल पर धीरे-धीरे अतिक्रमण कर रहे हैं। वर्ष 2015-16 में राजस्थान सरकार ने बेणेश्वर धाम के संरक्षण और विकास के लिए 255 करोड़ रुपये का मास्टर प्लान बनाया था। इस योजना के तहत पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण कराया गया, लेकिन भूमि रिकॉर्ड में अनियमितताओं के कारण इस परियोजना को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका।

धीरे-धीरे घट रहा धाम का क्षेत्रफल

बेणेश्वर धाम की भूमि न केवल अवैध निर्माणों से प्रभावित हो रही है, बल्कि नदी के कटाव के कारण भी इसकी जमीन कम होती जा रही है। वर्ष 2015-16 में हुए सर्वे के अनुसार, यह पवित्र स्थल 80.75 हेक्टेयर में फैला हुआ था, लेकिन 2024 तक इसका क्षेत्रफल घटकर 76.33 हेक्टेयर रह गया। यानी, आठ सालों में करीब 4.5 हेक्टेयर भूमि का नुकसान हो चुका है।

गांव नहीं, बल्कि एक धार्मिक टापू!

बेणेश्वर धाम का विशेष भूगोल इसे एक अनूठी पहचान देता है। बारिश के मौसम में, जब नदियां उफान पर होती हैं, तो यह क्षेत्र पूरी तरह से टापू में बदल जाता है। पहले यहां तक पहुंचने के लिए कोई पुल या स्थायी रास्ता नहीं था, लेकिन अब सड़क मार्ग बनने के बाद श्रद्धालु आसानी से यहां आ सकते हैं। फिर भी, साल में दो से तीन बार यह जगह पूरी तरह से जलमग्न हो जाती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह स्थान मानव बसाहट के लिए उपयुक्त नहीं है।

प्रशासन जल्द करेगा कार्रवाई

अधिकारियों का कहना है कि बेणेश्वर धाम पर हो रहे अवैध निर्माणों को रोकने के लिए जल्द ही सख्त कदम उठाए जाएंगे। यह क्षेत्र राजस्थान की धार्मिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है, जिसे बचाना बेहद जरूरी है। प्रशासन का कहना है कि गैर-आबादी क्षेत्र घोषित होने के बावजूद यदि किसी ने यहां अतिक्रमण किया है, तो उसे जल्द हटाया जाएगा।

निष्कर्ष

बेणेश्वर धाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर भी है, जिसे संरक्षित करना सभी की जिम्मेदारी है। यह स्थान वर्षों से आस्था और संस्कृति का केंद्र रहा है और भविष्य में भी बना रहेगा। प्रशासन को चाहिए कि वह इस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करे, ताकि यहां की पवित्रता और ऐतिहासिक विरासत को बचाया जा सके।

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