Rajasthan Politics में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को बजट पर चर्चा के दौरान जयपुर के मालवीय नगर से भाजपा विधायक कालीचरण सराफ और यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा के बीच बहस हो गई। मुद्दा था करतारपुरा नाले को पक्का करने के चलते 500 मकानों को तोड़े जाने का।
Rajasthan Politics में गरमाया 500 मकानों का मामला
विधानसभा में चर्चा के दौरान विधायक कालीचरण सराफ ने जयपुर स्थित करतारपुरा नाले के डिमार्केशन और उसके दोनों ओर सीवरेज लाइन बिछाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने इलाके में 500 मकानों पर लाल निशान लगा दिए हैं, जिससे लोगों में भय का माहौल है। सराफ ने कहा कि लोकतंत्र में एक साथ 500 मकान तोड़े जाना किसी भी हालत में संभव नहीं है और ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि इस इलाके में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना चाहिए। इसके लिए भाजपा सरकार के दौरान अमृत योजना में 21 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, और उन्होंने खुद इसका उद्घाटन किया था। लेकिन कांग्रेस सरकार ने यह कहकर योजना को रोक दिया कि जमीन उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि 30 कॉलोनियों के लोग बदबू से परेशान हैं, और इस समस्या का स्थायी समाधान जरूरी है।
मंत्री झाबर सिंह खर्रा का जवाब
इस पर यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि 2018 में हाईकोर्ट ने करतारपुरा नाले को पक्का करने की कार्ययोजना बनाने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा,
“2018 से अब तक जो हुआ, उस पर मैं टिप्पणी नहीं करूंगा। लेकिन एक बार हाईकोर्ट के आदेशों की पालना में कार्ययोजना पेश कर दी गई थी। अब हम हाईकोर्ट से इसमें संशोधन का आग्रह करेंगे। अगर हाईकोर्ट अनुमति देता है, तो ऐसी योजना बनाई जाएगी जिससे कम से कम लोगों को परेशानी हो।”
Rajasthan Politics में क्यों उठा करतारपुरा नाले का मुद्दा?
करतारपुरा नाला जयपुर का एक प्रमुख जल निकासी मार्ग है, लेकिन इसमें अतिक्रमण और गंदगी की समस्या लगातार बनी हुई है। बारिश के दिनों में जलभराव की समस्या गंभीर रूप से सामने आती है, जिससे प्रशासन पर इसे सुधारने का दबाव रहता है।
हाईकोर्ट ने 2018 में इस नाले को पक्का करने के निर्देश दिए थे, ताकि जलभराव और गंदगी की समस्या का स्थायी समाधान हो सके। लेकिन इस प्रक्रिया में कई मकान और दुकानें प्रभावित हो रही हैं, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है।
विपक्ष ने उठाए सवाल
भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने कहा कि यदि हाईकोर्ट का आदेश है, तो सरकार को लोगों की चिंता करनी चाहिए और विकल्प तलाशना चाहिए। उन्होंने कहा,
“अगर सरकार चाहे तो इस समस्या का हल निकल सकता है। कांग्रेस सरकार ने 5 साल बर्बाद कर दिए, लेकिन कोई ठोस योजना नहीं बनाई। अब जब लोग परेशान हैं, तब सरकार अदालत का नाम लेकर जिम्मेदारी से बच रही है।”
इस दौरान विधानसभा में मौजूद अन्य भाजपा विधायकों ने भी सरकार को घेरने की कोशिश की।
सरकार की क्या है योजना?
मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने स्पष्ट किया कि सरकार हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करेगी और संशोधित कार्ययोजना प्रस्तुत करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य नाले की समस्या का समाधान निकालना है, न कि लोगों को परेशान करना।
सरकार की संभावित योजनाएं:
- हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर राहत पाने की कोशिश
- नई कार्ययोजना बनाकर प्रभावित लोगों को न्यूनतम नुकसान पहुंचाने का प्रयास
- नाले की सफाई और सीवरेज सिस्टम को सुधारने के लिए वैकल्पिक समाधान तलाशना
स्थानीय लोगों में आक्रोश
इस पूरे विवाद के बीच स्थानीय लोग गहरे संकट में हैं। प्रभावित इलाकों में 500 से अधिक परिवार रहते हैं, जिनका कहना है कि अगर सरकार ने घर तोड़ने की कोशिश की, तो वे आंदोलन करेंगे।
स्थानीय निवासी अनिल शर्मा का कहना है,
“हम सालों से यहां रह रहे हैं। अगर हाईकोर्ट का आदेश है, तो सरकार को हमें पुनर्वास देना चाहिए, न कि हमारे घर तोड़ने चाहिए।”
वहीं, सीवरेज और जलभराव की समस्या से परेशान लोग भी नाले की सफाई और सुधार की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष
Rajasthan Politics में जयपुर के करतारपुरा नाले को पक्का करने और 500 मकानों को तोड़ने का मामला अब बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। एक तरफ हाईकोर्ट का आदेश है, तो दूसरी तरफ स्थानीय लोगों का आक्रोश। भाजपा इसे सरकार की नाकामी बता रही है, तो सरकार इसे न्यायालय के आदेशों का पालन करार दे रही है।
अब देखना यह होगा कि सरकार हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर राहत पाने में सफल होती है या नहीं। साथ ही, स्थानीय लोगों की समस्या का समाधान किस तरह निकाला जाएगा, यह भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है।