RGHS बंद होने वाली है? सरकार का बड़ा खुलासा, जानें कर्मचारियों के लिए क्या बोले वित्त मंत्री!

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जयपुर। राजस्थान सरकार द्वारा संचालित राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) को लेकर राज्य विधानसभा में बड़ा सवाल उठा। भाजपा के ही विधायक ने अपनी सरकार से पूछा कि इस योजना को लेकर काफी भ्रम बना हुआ है। कई अस्पतालों में मरीजों का सही तरीके से इलाज नहीं हो रहा, जबकि कुछ स्थानों पर निशुल्क दवाइयां देने से भी इनकार कर दिया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या RGHS योजना बंद होने वाली है? इस पर उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री दीया कुमारी ने विधानसभा में जवाब देते हुए स्थिति स्पष्ट की।

विधायक ने उठाया RGHS को लेकर सवाल

विधानसभा में विधायक चंद्रभान ने कहा कि कई प्राइवेट अस्पताल और निजी मेडिकल स्टोर, जो RGHS में रजिस्टर्ड हैं, वे रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों को इलाज और दवाएं देने से मना कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे इस योजना को मान्यता नहीं देते हैं। उन्होंने सरकार से सीधा सवाल किया कि क्या यह योजना बंद होने जा रही है या फिर भविष्य में इसे बंद किया जाएगा?

इसके अलावा, विधायक ने यह भी कहा कि RGHS के तहत इलाज कराने आए मरीजों को कई अस्पताल एडमिट नहीं कर रहे और समय पर दवाइयां भी नहीं दी जा रही हैं। उन्होंने वित्त मंत्री से अनुरोध किया कि सरकार स्पष्ट करे कि इस योजना का भविष्य क्या है और कर्मचारियों को इस असमंजस की स्थिति से बाहर निकाले।

वित्त मंत्री दीया कुमारी का जवाब

इस सवाल के जवाब में उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री दीया कुमारी ने कहा कि फिलहाल RGHS को बंद करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि कोई पंजीकृत अस्पताल या मेडिकल स्टोर इस योजना के तहत सेवा देने से इनकार करता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

वित्त मंत्री ने आगे बताया कि सरकार RGHS योजना के तहत चिकित्सा सुविधाओं को बॉयोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन से जोड़ रही है। इस प्रक्रिया को लागू करने के पीछे योजना में गड़बड़ी और दुरुपयोग को रोकने का उद्देश्य है।

बॉयोमेट्रिक प्रक्रिया को लेकर स्थिति स्पष्ट

वित्त मंत्री दीया कुमारी ने स्पष्ट किया कि 22 जनवरी 2025 को संशोधित नियमों के अनुसार, गंभीर रूप से बीमार मरीजों और 75 वर्ष से अधिक उम्र के लाभार्थियों को बॉयोमेट्रिक फोटो अपलोड करने की अनिवार्यता से छूट दी गई है।

उन्होंने कहा कि इस नियम को लागू करने का मुख्य उद्देश्य योजना के दुरुपयोग को रोकना है। कई मामलों में फर्जीवाड़ा देखा गया था, जहां बिना मरीज की उपस्थिति के इलाज और दवा का दावा किया गया। इसी कारण सरकार ने यह कदम उठाया है।

विधायक ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट की मांग की

विधानसभा में विधायक चंद्रभान ने सरकार से अनुरोध किया कि 60 साल से अधिक उम्र के पेंशनर्स और सरकारी कर्मचारियों के लिए बॉयोमेट्रिक फोटो की अनिवार्यता समाप्त की जाए। उनका कहना था कि ये लोग 30-40 साल तक सरकार की सेवा करते हैं, ऐसे में उन्हें इस प्रक्रिया से छूट दी जानी चाहिए।

इस पर वित्त मंत्री दीया कुमारी ने जवाब दिया कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए कोई उम्र सीमा तय नहीं की गई है। यदि कोई मरीज गंभीर स्थिति में है, तो उसका इलाज प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा और उसके लिए बॉयोमेट्रिक नियमों में लचीलापन रखा गया है।

RGHS को लेकर सरकार का रुख

वित्त मंत्री ने साफ किया कि RGHS योजना को बंद करने की कोई योजना सरकार के पास नहीं है। बल्कि सरकार इसे और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए नए नियम लागू कर रही है।

उन्होंने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि यदि किसी अस्पताल या मेडिकल स्टोर द्वारा योजना के तहत सेवा देने से इनकार किया जाता है, तो वे इसकी शिकायत दर्ज कराएं। सरकार ऐसे अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।

निष्कर्ष

RGHS को लेकर विधानसभा में उठे सवालों पर सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि यह योजना बंद नहीं होगी। बल्कि इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ नई प्रक्रियाएं लागू की जा रही हैं। सरकार ने पेंशनर्स और वरिष्ठ नागरिकों को आश्वस्त किया कि गंभीर बीमारियों के मामलों में कोई उम्र सीमा नहीं है और जरूरतमंद मरीजों को हर हाल में इलाज उपलब्ध कराया जाएगा।

इसका मतलब यह है कि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को घबराने की जरूरत नहीं है। यदि किसी अस्पताल या मेडिकल स्टोर द्वारा RGHS योजना के तहत सेवा देने से इनकार किया जाता है, तो वे इसकी शिकायत दर्ज कर सकते हैं, और सरकार ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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