Rajasthan Viral News: मूंछ काटने के बदले 11 लाख रुपये का जुर्माना, जानिए क्या है पंचायत के फैसले का पूरा मामला

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Rajasthan Viral News: राजस्थान के करौली जिले में एक महापंचायत के फैसले के कारण एक नया विवाद उत्पन्न हुआ है। 27 जनवरी को करौली जिले के रोंसी गांव में एक परिवार पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। इस फैसले के पीछे की वजह थी करीरी गांव के एक परिवार का अपमान और उसके एक सदस्य की मूंछें तथा सिर के बाल काटने का आरोप।

क्यों लगाया गया जुर्माना?

मामला राजस्थान के करौली जिले के टोडाभीम उपखंड के करीरी और रोंसी गांवों से जुड़ा है। करीरी गांव के बाबूलाल ने अपने बेटे कमलेश के लिए रोंसी गांव में एक लड़की से शादी का प्रस्ताव भेजा। लेकिन जब लड़की के परिवार ने कमलेश को नापसंद कर दिया, तो यह बात रोंसी गांव के लिए बदनामी बन गई। इस घटना के बाद गांव के पंचों ने करीरी के बाबूलाल पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का फैसला किया।

क्या हुआ जब जुर्माना नहीं दिया गया?

जुर्माना न देने पर पंचायत ने रोंसी गांव को समाज से बहिष्कृत करने की चेतावनी दी। इस दबाव में 30 जनवरी को रोंसी गांव के परिवार ने 11 लाख रुपये जमा कर दिए। इस फैसले के बाद एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। हालांकि, अब तक इस मामले में पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है।

महापंचायत का फैसला

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इस विवाद को सुलझाने के लिए 27 जनवरी को करीरी गांव में एक महापंचायत बुलाई गई। पंचायत ने रोंसी गांव के परिवार को 11 लाख रुपये का जुर्माना देने का आदेश दिया और कहा कि यदि यह राशि 15 दिन में नहीं दी जाती तो पूरे गांव को समाज से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। इसके अलावा दो बिचौलियों पर भी जुर्माना लगाया गया।

पुलिस का रुख

हालांकि इस विवाद में पुलिस ने हस्तक्षेप किया है, लेकिन दोनों पक्षों ने अभी तक पुलिस में कोई शिकायत नहीं की। करौली के डिप्टी एसपी मुरारी लाल ने कहा कि दोनों पक्षों से इस मामले में शिकायत करने के लिए कहा गया, लेकिन किसी ने भी पुलिस में मामला दर्ज नहीं कराया।

कानूनी दृष्टिकोण

राजस्थान हाई कोर्ट के अधिवक्ता अखिल चौधरी का कहना है कि पंचायत का यह फैसला गैर-कानूनी है। उनका कहना है कि इस प्रकार की पंचायतें कोई जुर्माना नहीं लगा सकतीं। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस को इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए।

समाज और पंचायत की भूमिका

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यह मामला समाज और पंचायतों के प्रभाव को दर्शाता है। गांवों में इस तरह की पंचायतें अक्सर समाजिक विवादों को सुलझाने के लिए बुलाई जाती हैं, लेकिन जब यह फैसले कानून से बाहर होते हैं, तो वे बड़े विवादों का कारण बन सकते हैं।

मामले की समाप्ति

यह मामला यह बताता है कि पंचायतों का फैसला कानूनी प्रक्रिया से बाहर और संविधान के खिलाफ हो सकता है। ऐसे मामलों में पुलिस और अदालतों को हस्तक्षेप करना आवश्यक है, ताकि समाज में कानून का पालन हो सके।

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