Rising Rajasthan: ग्लोबल सबमिट 2024 राइजिंग राजस्थान में अब इन जिलों में प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होने से रोजगार के अवसर और मिलने की संभावना बढ़ गई है अच्छी गुणवत्ता के उत्पादन कम दरों पर उपलब्ध हो सकते हैं..आइए जानते है क्या है पूरी खबर…अधिक पढ़े.
Rising Rajasthan: इन ज़िलों को होगा सीधा फ़ायदा
राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, टोंक, भीलवाड़ा और झालावाड़ जिलों के स्थानीय उत्पादों के आधार पर उद्योग के विकास और अधिक संभावनाएं हैं राइजिंग राजस्थान के दौरान इन जिलों में पर प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होने की वजह से रोजगार के अवसर और अधिक बढ़ेंगे और अच्छी गुणवत्ता के उत्पादन कम व सस्ती दरों पर आप सभी के लिए उपलब्ध हो सकते हैं।
Rising Rajasthan: भीलवाड़ा बन सकता है मक्के का हब
राजस्थान के भीलवाड़ा और शाहपुरा जिला मक्का दोनों पूरे प्रदेश में अव्वल स्थान पर है और प्रोसेसिंग इकाइयों नहीं होने से मक्के को राज्य से बाहर भेजना होता है परंतु भीलवाड़ा जिला में सबसे ज्यादा हाइब्रिड मक्का का उत्पादन होता है और यही से फूड प्रोसेसिंग यूनिट के साथ एथेनॉल प्लांट की जरूरत भी है इससे यह होगा कि चित्तौड़गढ़ और शाहपुर जिले को इस प्लांट से लाभ मिलेगा जिससे खाड़ी देशों में भीलवाड़ा की मक्का की उत्पादन की बहुत अधिक मांग को पूरा किया जा सकेगा अभी भी ये मक्का का गुजरात के गांधीधाम से पैक होकर खाड़ी देश और कनाडा भेजा जाता है।
Rising Rajasthan: बाड़मेर के ईसबगोल से गुजरात को फ़ायदा
राजस्थान के बाड़मेर के हर साल लगभग 10 लाख क्विंटल ईसबगोल पैदा करते हैं परंतु खेत से निकलते ही यह ईसबगोल गुजरात की मंडी में चला जाता है तो ऐसे में गुजरात को इसका फायदा हो रहा है और बाड़मेर में इसकी प्रोसेसिंग यूनिट अगर लगा दी जाए तो राजस्थान राज्य को इसका लाभ मिलेगा बड़े स्तर पर जिससे राज्य में रोजगार के अवसर और अधिक उपलब्ध होंगे बाड़मेर से इस विदेशी निर्यात करने के लिए भी आसानी पर होगी।
Rising Rajasthan: सोयाबीन के लिए झालावाड़ में प्लांट की ज़रूरत
राजस्थान के झालावाड़ जिले में हर साल करीब 20,000 मेट्रिक टन सोयाबीन का उत्पादन किया जाता है परंतु इसके बाद भी झालावाड़ में इसके प्रोसेसिंग प्लांट नहीं है जिसके वजह से यहां सोया मिल्क, सोया पनीर, सोया आटा, और सोया तेल यह सभी नहीं बन पाते हैं और राज्य को इसका समस्त लाभ नहीं हो पा रहा है अगर प्लांट लगा दिया जाए तो इससे झालावाड़ जिले की भी समृद्धि होगी।
Rising Rajasthan: टोंक में 6000 करोड़ का उत्पादन हर साल
राजस्थान पूरे देश में सरसों की पैदावारी में 50% हिस्सेदारी रखता है और यह हिस्सेदारी में टोंक जिला 30 नंबर पर आता है और हर साल टोंक जिला लगभग 6000 करोड़ का तेल निर्यात कर देता है राज्य व केंद्र स्तर सरसों पर लगने वाले टैक्स को अगर हटा दे तो सस्ती दरों पर खाने का तेल भी उपलब्ध हो सकता है अभी तक राजस्थान को सरसों उत्पादक राज्य का दर्जा नहीं मिल पाया है क्योंकि गुणवत्ता के चलते टोंक के सरसों की तेल की मांग पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में बड़ी भारी मात्रा में देखी जा सकती है।