एक दौर में
फ़िल्म इंडस्ट्री पर
दिलीप , देव और राज की तिकड़ी
का इकतरफा वर्चस्व था
आखिर अभिनय का कोई पहलू बचता ही नहीं था
जो इन तीनों में से किसी के पास न हो
फ़िल्म के कथानक के अनुसार किसी एक का चुनाव हो जाया करता था
शमी कपूर का रंगीला, जंगली अन्दाज़
ऐसे समय में अपनी जगह बनाने के लिए
कुछ हटकर करना बहुत जरूरी था
शमशेर राज कपूर यानी शम्मी साहब
ने यही किया
अपनी उछलकूद और खिलंदड़ शैली से
देखते ही देखते
इंडस्ट्री में अपनी खास जगह बना ली
यह छवि बनाने में उन्हें भरपूर सहयोग मिला
मोहम्मद रफी साहब का
जिन्होंने उनके गीतों के लिए
अपनी एक अलग शैली बना ली
और आगे चलकर ये आवाज़ शम्मी साहब की पर्याय बन गई
आज जन्मतिथि 21 अक्टूबर पर भावभीनी श्रद्धांजलि
खूब याद आते हो जंगली