वक्फ बोर्ड सच में माफिया? पाकिस्तानी एक्सपर्ट कमर चीमा ने किया मोदी सरकार के कानून का समर्थन, बताया पाकिस्तान का हाल

 भारत में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर लंबी बहस के बाद यह कानून बन चुका है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह लागू हो गया है। इस विधेयक पर भारत में जहां पक्ष-विपक्ष में तीखी बहस हुई, वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी इसकी गूंज सुनाई दी। पाकिस्तानी मुख्यधारा मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में इसकी चर्चा हुई। इस बीच, पाकिस्तानी एक्सपर्ट कमर चीमा ने वक्फ संशोधन कानून पर अपनी राय रखी, जो भारत में सरकार के समर्थकों के लिए चर्चा का विषय बन गई है। आइए जानते हैं कि चीमा ने क्या कहा और पाकिस्तान में वक्फ जैसी संस्थाओं का क्या हाल है।

कमर चीमा का नजरिया: वक्फ कानून सही कदम

कमर चीमा ने वक्फ संशोधन विधेयक को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों का डिजिटलाइजेशन और ट्रांसपेरेंसी लाना चाहती है। इसमें गलत क्या है? यह तो अच्छी बात है।” चीमा ने अवैध अतिक्रमण रोकने और संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने के प्रावधानों का समर्थन करते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय को खुद इसका स्वागत करना चाहिए। उनका मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग पर लगाम लगेगी।

‘वक्फ माफिया’ पर सहमति

चीमा ने भारत में वक्फ बोर्ड को ‘माफिया’ कहे जाने वाले बयान का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार ने जो कहा, वह गलत नहीं है। भारत में 50,000 से ज्यादा वक्फ संपत्तियां विवादों में हैं। यह हैरान करने वाली बात है।” चीमा ने सवाल उठाया कि वक्फ संस्थाओं ने अपने अंदर सुधार की कितनी कोशिश की? उन्होंने कहा, “अगर आप खुद रिफॉर्म नहीं करते, तो सरकार को कदम उठाना ही पड़ेगा। ये स्वाभाविक है।”

पाकिस्तान का उदाहरण

पाकिस्तान के हालात का जिक्र करते हुए चीमा ने बताया कि वहां भी धार्मिक संस्थानों में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में मस्जिदों और दरगाहों का गलत इस्तेमाल होता रहा है। कई संस्थान सरकारी नियंत्रण से बचने की कोशिश करते हैं, ताकि वहां आने वाला पैसा उनके हाथ में रहे और लूट का सिलसिला चलता रहे।” चीमा ने एक गंभीर सवाल उठाया, “क्या मुसलमानों के लिए धार्मिक संस्थाओं में भ्रष्टाचार करना जायज है? वक्फ के नाम पर फर्जी दावे करना कहां तक सही है?”

उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान में सरकार ने मस्जिदों के दुरुपयोग पर कई बार कार्रवाई की है। चीमा के मुताबिक, “धार्मिक संस्थानों को कानून के दायरे में लाना जरूरी है। इन्हें बेलगाम नहीं छोड़ा जा सकता।”

‘सरकार का हक है कदम उठाना’

चीमा ने भारत की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मोदी सरकार के पास बहुमत है। वे जो करना चाहते हैं, वह करेंगे। यह हर सरकार का अधिकार है। इसे रोकना संभव नहीं है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाएं पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं दिखातीं, तो सरकारी हस्तक्षेप स्वाभाविक है।

पाकिस्तान में वक्फ का हाल

पाकिस्तान में वक्फ जैसी संपत्तियों का प्रबंधन औकाफ विभाग (Auqaf Department) के तहत होता है, जो प्रांतीय सरकारों द्वारा नियंत्रित होता है। हालांकि, वहां भी भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन की शिकायतें आम हैं। कई मस्जिदों और दरगाहों की आय का हिसाब-किताब सार्वजनिक नहीं होता। चीमा ने इसी ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत का नया कानून ऐसे हालात को सुधारने की दिशा में एक कदम हो सकता है।

भारत में वक्फ संशोधन विधेयक के प्रमुख प्रावधान

  • डिजिटलाइजेशन और पारदर्शिता: वक्फ संपत्तियों का केंद्रीकृत डेटाबेस बनाना।
  • जिला कलेक्टर की भूमिका: संपत्ति विवादों में अंतिम फैसला कलेक्टर का होगा।
  • गैर-मुस्लिम सदस्य: वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना।
  • महिला प्रतिनिधित्व: बोर्ड में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं की अनिवार्यता।

निष्कर्ष

कमर चीमा की राय ने भारत में वक्फ संशोधन कानून के समर्थकों को एक नया नजरिया दिया है। उनका मानना है कि यह कानून न सिर्फ व्यवस्था को बेहतर करेगा, बल्कि मुस्लिम समुदाय के हित में भी होगा। हालांकि, भारत में विपक्ष और कई मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वायत्तता पर हमला बता रहे हैं। यह बहस अभी थमने वाली नहीं है, लेकिन पाकिस्तान से आई इस प्रतिक्रिया ने चर्चा को नया आयाम जरूर दिया है।

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